Author: Chandan Sharma
मजदूर ये घर की ओर चला..
परदेस देस की ओर चला
हर नगर गांव की ओर चला
मन मे ले चिंता जीवन की
मजदूर ये घर की ओर चला ।
कभी सत्ता ने सामंतों ने
कभी नगर सेठ के फंदों ने
इसको रोटी के लालच ने
सदियों से है रोज़ छला ।
सर पे ग्रहस्थी का बोझ रखा
जाने का साधन खोज रहा
दुनिया की #तालाबंदी में
कदमों का ताला खोल चला ।
गर मिलना ही है मिट्टी में तो
अपनी मिट्टी की ओर चला
मन मे चिंता ले जीवन की
मजदूर ये घर की ओर चला ।
#StayHome
#wordsofchandan
शहर से घर कोरोना का डर ..
गरीब अपने ठिकाने से चल तो पड़ा
लेकिन ये अंदाज़ा नहीं लगा पाया के
600 किलोमीटर का सफर काटने में जिस्म जवाब दे देगा,
पैर पत्थर हो जाएंगे, पेट भूख उगलेगा और
सिर पसीने में बदन का बचा कुचा पानी भी बहा देगा ।
#कोरोना की मौत मरने से पहले बदन की थकान और पेट की आग मार डालेगी ..
इतने पर भी वक्त को रहम न आया तो लाठियां लिए पुलिस तो स्वागत में खड़ी ही होगी..
पता नही कब #राहत इस अंतहीन सफर में दस्तक देगी ..और ये मुसाफिर घर पहुंचेंगे।
लगता है आधा हिन्दुस्तान घर में है और आधा सफर में है।
#StayHome #wordsofchandan
#Corona tribute
पहली दफ़ा देखा है के
फ़ासलों को बढ़ाना है
एक लाईलाज बीमारी है
और बेअक्ल ज़माना है ।
#हिदायत दूरियों की है
मुल्क में तालाबंदी है
सरकारी हुक़्म हो गया है
के घर थाली बजाना है।
दुआ की भी ज़रूरत है
दवाएं आज़माना है
#ज़मीं से आसमानों तक
कहीं आना न जाना है ।
शहरों के शहर चुप हैं
खुदाओं के भी दर चुप हैं
ये कैसा मंज़र है कि अब
इंसा से इंसा को बचाना है।
कहीं मातम ही पसरा है
कहीं #दहशत का आलम है
किसी की जान आफ़त में
किसी को जश्न में जाना है ।
बड़ा ऐलान करते थे
#ख़ुदा मैं हूँ ख़ुदा मैं हूं
खुदा ने आज सोचा है
फरक ये आज़माना है ।
#corona #wordsofchandan #JantaCurfew #tribute
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Wordsofchandan
# तुम्हारी याद
तुम्हारे कानून में ऐसा कहाँ लिखा है बताओ
के मैं तुम्हें याद करूँ और तुम मुझे भूल जाओ?