मजदूर ये घर की ओर चला..

परदेस देस की ओर चला
हर नगर गांव की ओर चला
मन मे ले चिंता जीवन की
मजदूर ये घर की ओर चला ।

कभी सत्ता ने सामंतों ने
कभी नगर सेठ के फंदों ने
इसको रोटी के लालच ने
सदियों से है रोज़ छला ।

सर पे ग्रहस्थी का बोझ रखा
जाने का साधन खोज रहा
दुनिया की #तालाबंदी में
कदमों का ताला खोल चला ।

गर मिलना ही है मिट्टी में तो
अपनी मिट्टी की ओर चला
मन मे चिंता ले जीवन की
मजदूर ये घर की ओर चला ।

#StayHome

#wordsofchandan

शहर से घर कोरोना का डर ..

गरीब अपने ठिकाने से चल तो पड़ा
लेकिन ये अंदाज़ा नहीं लगा पाया के
600 किलोमीटर का सफर काटने में  जिस्म जवाब दे देगा,
पैर पत्थर हो जाएंगे, पेट भूख उगलेगा और
सिर पसीने में बदन का बचा कुचा पानी भी बहा देगा ।
#कोरोना की मौत मरने से पहले बदन की थकान और पेट की आग मार डालेगी ..
इतने पर भी वक्त को रहम न आया तो लाठियां लिए पुलिस तो स्वागत में खड़ी ही होगी..
पता नही कब #राहत इस अंतहीन सफर में दस्तक देगी ..और ये मुसाफिर घर पहुंचेंगे।
लगता है आधा हिन्दुस्तान घर में है और आधा सफर में है।

#StayHome #wordsofchandan


#Corona tribute

पहली दफ़ा देखा है के
फ़ासलों को बढ़ाना है
एक लाईलाज बीमारी है
और बेअक्ल ज़माना है ।

#हिदायत दूरियों की है
मुल्क में तालाबंदी है
सरकारी हुक़्म हो गया है
के घर थाली  बजाना है।

दुआ की भी ज़रूरत है
दवाएं आज़माना है
#ज़मीं से आसमानों तक
कहीं आना न जाना है ।

शहरों के शहर चुप हैं
खुदाओं के भी दर चुप हैं
ये कैसा मंज़र है कि अब
इंसा से इंसा को बचाना है।

कहीं मातम ही पसरा है
कहीं #दहशत का आलम है
किसी की जान आफ़त में
किसी को जश्न में जाना है ।

बड़ा ऐलान करते थे
#ख़ुदा मैं हूँ ख़ुदा मैं हूं
खुदा ने आज सोचा है
फरक ये आज़माना है ।

#corona #wordsofchandan #JantaCurfew #tribute

अटल मरा नहीं करते ..

युग जिनके अवतरणो को अपनी बांहें फैलाते हैं
पथ जिनके पदचिन्हों को सर आँखों पे सजाते हैं
जिनकी राहें तकती रहतीं शिखाएं पर्वतमालों की
ऐसे रणकौशल शूरवीर इतिहास रचाने आते हैं

अटल मरा नहीं करते अटल अमर कहलाते हैं….