क्यूँ क्या हुआ ?
जिस दिन से कटी है तुम्हारी पतंग
किसी से पेज नहीं लडाते
मैंने देख लिया था उस दिन
अपनी जूतियों मैं अटक कर
बदहवास गिर पडे थे तुम
उस दिन से सोचता हूँ कि
मुझसे नज़र नहीं उलझाते
ये मैं नहीं कहता ये मेरे दोस्त कहते हैं
चंदन परवाह करने लगे हो उनको
सरेआम नहीं गिराते
मोहब्बत हुई कि नहीं हमसे इतना तो बता दो
बेरूखी रहती है जिधर
उधर हम भी नहीं जाते ….
दिल का गणीत कहता है
प्यार है तो सही लेकिन डरते हैं
तुम्हे मैं भी नहीं बताता
मुझे तुम भी नहीं बताते …।
कहतें हैं अच्छी नहीं होती
कमाने की उम्र में मोहब्बत
बिगड तुम भी नहीं जाते
सुधर हम भी नहीं जाते …।